अल्मोड़ा की नशे के खिलाफ मुहिम

रितिका सनवाल, ब्यूरो-अल्मोड़ा

अल्मोड़ा। युवा पीढ़ी पर नशीले पदार्थों की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है। युवतियों में भी ड्रग्स स्टेटस सिंबल बन जाने से इस बुराई की समाप्ति और भी मुश्किल होती जा रही है। स्कूल कालेज भी नशे से अछूते नहीं रहे। 

ज्यादातर युवक मादक पदार्थों का सेवन शौक तथा फैशन के लिए शुरू करते हैं पर धीरे-धीरे उन्हें कब इसकी आदत लग जाती है, पता भी नहीं चलता। उन का शरीर और दिमाग उस मादक पदार्थ पर निर्भर हो जाता है।  

मादक पदार्थों के सेवन के बिना उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लगता।यदि उनका सेवन नहीं करे तो शरीर में दर्द, बेचैनी और तरह-तरह की बीमारियाँ शुरू हो जाती हैं। यकृत, गुर्दों और ह्रदय पर इन मादक द्रव्यों के प्रयोग का बुरा प्रभाव पड़ता है। एक बार आदत लग जाए तो बिना मादक पदार्थों के सेवन के जी नहीं सकते और उनका सेवन मौत की तरफ धकेलता जाता है।  

कभी स्टेटस सिंबल, कभी प्रेम में असफलता, कभी पेरैंट्स का कम्युनिकेशन गैप तो कभी यारीदोस्ती के चलते युवा नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। इस से जहां युवाओं में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा हो रही हैं वहीं वे क्राइम की ओर भी उन्मुख हो रहे हैं। जरूरत है काउंसलिंग के जरिए युवाओं की दिनचर्या पटरी पर लाने की ताकि उन्हें इस लत से बचाया जा सके। 

पहाड़ो में युवाऔं में ये नशे के बढ़ते चलन को देखते हुए आज नगरपालिका सभागार में एक मीटिंग रखी गयी जिसमे काफी मात्रा में युवाओ और बुजुर्गो ने भागीदारी की। 

इस मीटिंग में कई पहलू सामने आये। 

मुख्यतौर पर..

1. बच्चों और माता-पिता के बीच बोल चाल में कमी,

2. मॉडर्न होने की होड़ में बच्चे खुद को इस तरफ धकेलते हुए,

3. स्मैक की आसानी से उपलब्धता,

4. और बच्चों के जीवन में बढ़ता तनाव !

मुख्यतौर पर इस चीज से बचने के लिए भी कई पहलु सामने आये

वो थे :
1.  अभिभावक-अध्यापक मीटिंग के दौरान अभिभावकों को नशे सम्बन्धी लक्ष्यण बताना,

2.  अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ समय बिताना और उनकी दिनचर्या पर बात करना और अच्छे बुरे का फर्क समझना

3.  ज्यादा से ज्यादा स्वयंसेवक का सामने आना
4.  और बच्चों का परामर्श

ये तो बस अभी युवाओं की शुरुआत है नशे के खिलाफ,आगे दखेंगे की ये मुहीम कितने दूर तक जायगी और क्या रंग लाएगी

तो आप भी जुड़ें हमारे  साथ “Almora against smack”

नशामुक्त समाज हमारी जिम्मेदारी है।हमें इसके लिए समाज में जागृति लाना होगा तभी स्वस्थ और समृद्ध भारत का सपना वास्तव में साकार होगा।

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